One Nation-One Election Bill: वन नेशन-वन इलेक्शन बिल 16 दिसंबर को संसद में पेश होगा; यह 'एक सौ उनतीसवां संविधान संशोधन'

वन नेशन-वन इलेक्शन बिल 16 दिसंबर को संसद में पेश होगा; यह 'एक सौ उनतीसवां संविधान संशोधन', 12 दिसंबर को कैबिनेट की मुहर लगी

Parliament One Nation-One Election Bill Introduced on December 16

One Nation-One Election Bill Introduced in Parliament on December 16

One Nation-One Election Bill: 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन बिल' को मंजूरी दी थी। अब सोमवार 16 दिसंबर को 'वन नेशन-वन इलेक्शन बिल' को संसद में पेश किया जाएगा। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को लोकसभा में पेश करेंगे। यह 'एक सौ उनतीसवां संविधान संशोधन विधेयक 2024' होगा। वहीं मेघवाल संविधान संशोधन विधेयक पेश करने के साथ केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024  भी पेश करेंगे।

One Nation-One Election Bill Introduced in Parliament on December 16

 

'वन नेशन-वन इलेक्शन' का उद्देश्य क्या?

दरअसल, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को कानून बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें. जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्चों में कमी आने की बात कही गई है। इसके साथ ही यह कोशिश है कि, वन नेशन-वन इलेक्शन' माध्यम से चुनावों को स्थिर और संगठित तरीके से कराने व देशभर में चुनावी गतिविधियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। सरकार का कहना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' को सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल पर संसद में होगी बहस?

फिलहाल, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल के संसद में आने से इस पर बहस होगी। बताया जा रहा है कि, सभी सांसदों को बिल की कॉपी भेज दी गई है। ताकि वह इसे पढ़ लें और इस पर तैयारी कर लें। संसद में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल पेश होने और इस पर चर्चा होने के बाद इसे आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाएगा। बिल जेपीसी के पास भी भेजा जा सकता है। क्योंकि संसद में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल पर जोरदार हंगामा देखने को मिल सकता है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' बिल पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं है। विपक्ष इसके विरोध में है।

सितंबर में कैबिनेट ने समिति का प्रस्ताव मंजूर किया था

इससे पहले इसी साल सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर गठित उच्च स्तरीय समिति (रामनाथ कोविंद कमेटी) की सिफारिशों को मंजूर किया था। यानि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है। एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का चेयरमैन बनाया गया था। समिति ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का मसौदा तैयार किया और प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा। यह माना जा रहा था कि, केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में इस संबंध में बिल संसद में पेश कर सकती है.

बता दें कि, कांग्रेस 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के पक्ष में नहीं है। 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि, हम इसके साथ नहीं हैं। लोकतंत्र में 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' काम नहीं कर सकता। खड़गे का कहना था कि, अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र बचा रहे तो चुनाव जब भी जरूरत हो, कराए जाने चाहिए। वहीं कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि, यह इस देश में बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। ''वन नेशन-वन इलेक्शन'' से वर्तमान मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।

वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह का 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर कहना है कि, किसी भी राज्य में 6 महीने से ज्यादा चुनाव नहीं टाला जा सकता। यदि वन नेशन वन इलेक्शन हो रहा है और एक राज्य में सरकार 6 महीने में गिर जाती है, अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो क्या 4.5 साल बिना सरकार के रहा जाएगा? ये इस देश में संभव ही नहीं है। पहले तो सरकारें पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करती थीं लेकिन आज कोई सरकार 2.5 साल में गिर जाती हैं तो कहीं 3 साल में गिर जाती है।

अनिल विज ने कहा- ये देश को आगे ले जाने वाला फैसला

हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने कहा, "वन नेशन वन इलेक्शन, ये देश को आगे ले जाने वाला फैसला है। यह लिया तो जाना चाहिए था आजादी के तुरंत बाद लेकिन जो सरकारें बनीं उनके एजेंडे में ये मुद्दे नहीं थे। अब पीएम नरेंद्र मोदी देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं... बार-बार चुनावों का होना देश के विकास में व्यवधान पैदा करता है। पूरे साल केवल और केवल चुनाव चलते रहते हैं, कामों की ओर ध्यान नहीं जाता है। यह बहुत अच्छा कदम है और देश के लोगों को इसका स्वागत करना चाहिए।''